Add To collaction

सिलसिले चाहत के

सिलसिले यह चाहत के आंखों से हुए शुरू,
पहली मर्तबा जब हुए एक दूसरे के रुबरु।

पहली नज़र में दोनों जैसे होश सा खो बैठे,
आंखों ही आंखों में एक दूसरे के हो बैठे।

लाख हमने इस दिल को समझा कर देख लिया,
तुमसे दूर रहने का हर बहाना बना कर देख लिया।

लेकिन कंबख्त इस दिल ने कहा कहां माना,
तो हमने भी तुम्हारे पास आने का था ठाना।

अब तेरे बिना ना दिन गुजरते हैं ना रात होती है,
सपनों में भी अब तो सिर्फ तुम्हारी बात होती है।

   13
5 Comments

Aliya khan

10-Jul-2021 10:42 PM

वाह

Reply

Swati chourasia

10-Jul-2021 08:31 PM

Very nice 👌

Reply

Niraj Pandey

10-Jul-2021 06:46 PM

हिसाब पूरा हुआ अब रोना मत 🤣🤣🤣

Reply