सिलसिले चाहत के
सिलसिले यह चाहत के आंखों से हुए शुरू,
पहली मर्तबा जब हुए एक दूसरे के रुबरु।
पहली नज़र में दोनों जैसे होश सा खो बैठे,
आंखों ही आंखों में एक दूसरे के हो बैठे।
लाख हमने इस दिल को समझा कर देख लिया,
तुमसे दूर रहने का हर बहाना बना कर देख लिया।
लेकिन कंबख्त इस दिल ने कहा कहां माना,
तो हमने भी तुम्हारे पास आने का था ठाना।
अब तेरे बिना ना दिन गुजरते हैं ना रात होती है,
सपनों में भी अब तो सिर्फ तुम्हारी बात होती है।
Aliya khan
10-Jul-2021 10:42 PM
वाह
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Swati chourasia
10-Jul-2021 08:31 PM
Very nice 👌
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Niraj Pandey
10-Jul-2021 06:46 PM
हिसाब पूरा हुआ अब रोना मत 🤣🤣🤣
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